उत्तल लेंस और अवतल लेंस की परिभाषा, उपयोग, अंतर और चित्र

उत्तल लेंस और अवतल लेंस विज्ञान विषय का बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है. इस टॉपिक से लगभग हर किसी एग्जाम में प्रश्न पूछे जाते हैं. कभी-कभी परीक्षा में प्रश्न की पुनरावृति  भी देखी जाती है. इन प्रश्नों में  समानता उत्तल लेंस क्या होता है? अवतल लेंस क्या होता है, उत्तल और अवतल लेंस में अंतर क्या है, उत्तल लेंस और अवतल लेंस का उपयोग, उत्तल लेंस और अवतल लेंस के बीच के अंतर,  सामन्यात:  इसी  तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं. यह टॉपिक विज्ञान विषय के प्रकाश चैप्टर से संबंधित है. लेंस का उपयोग हमारे दैनिक जीवन से भी जुड़ा है, इसलिए यह टॉपिक अन्य किसी टॉपिक से ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है. तो इस आर्टिकल में इन सब से जुड़े सभी बिंदुओं पर गहराई से चर्चा की गई है, आर्टिकल को शुरू करने से पहले आइए देख लेते हैं कि इस आर्टिकल में किन-किन बिंदुओं की चर्चा की गई.

उत्तल लेंस और अवतल लेंस

उत्तल लेंस और अवतल लेंस

लेंस क्या है

हमने बचपन में कम से कम एक बार घड़ी के लिए जरूर जिद तो जरुर की होगी. और जब घड़ी बिगड़ जाती थी तो हम घड़ी बनवाने के लिए किसी घड़ीसाज के पास जाते थे. घड़ीसाज घड़ी के आंतरिक भाग को खोल कर उसे देखने के लिए किसी आवर्धक लेंस का उपयोग करता था. कई बार हम भी उसके लेंस को अपनी आंखों में लगाने की  कोशिश करते थे लेकिन उसने कभी हम को छूने नहीं दिया. तो आइये आज लेंस के बारें में सब कुछ जानने की कोशिश करते हैं.

लेंस की परिभाषा – 

लेंस एक आर-पार यानी कि पारदर्शी दिखने वाला माध्यम होता है जो किसी गोलीय पृष्ठ के द्वारा बना होता है. इन गोलीय पृष्ठों में कम से कम एक पृष्ठ का गोलीय होना जरुरी होता है. लेंस को मुख्य रूप से दो भागो में विभाजित किया गया है जो निम्नवत हैं.

  1. उत्तल लेंस
  2. अवतल लेंस

उत्तल लेस

इस लेंस बनावट के आधार पर किनारों पर पतले और मध्य में मोटे होते हैं, इन्हें उत्तल लेंस कहा जाता है. अर्थात यह लेंस दोनों किनारे पतले होते हैं और बीच का भाग दोनों किनारों की तुलना में अधिक मोटा होता है. यह लेंस दो पृष्ठों से मिलकर बना है और इन दोनों पृष्ठों का ऊपरी भाग उभरा हुआ होता है और दूसरा भाग  आंतरिक भाग की ओर धसा हुआ होता है. इस लेंस का एक और गुण है कि यह लेंस पड़ने वाले प्रकाश को इकट्ठा करता है अर्थात अभिसरित करता है इसलिए इस लेंस को अभिसारी लेंस भी कहा जाता है. उत्तल लेंस में किसी भी वस्तु का प्रतिबिंब वास्तविक बनता है और साथ ही आभासी और उल्टा होता है.

उत्तल लेंस बीच में मोटा और किनारों पर पतला होता है 

उत्तल लेस के प्रकार

बनावट के आधार पर उत्तल लेंस को तीन भागों में बांटा जा सकता है जो निम्नलिखित हैं

  1. उभयोत्तल लेंस
  2. समतलोत्तल लेंस
  3. अवतलोत्तल लेंस

अवतल लेंस

आकार और बनावट के आधार पर अवतल लेंस, उत्तल लेंस के विपरीत होता है अर्थात उत्तल लेंस जहां किनारों पर पतला और बीच में मोटा होता है तो वही अवतल लेंस किनारों पर मोटा और बीच में पतला होता है इस लंच में समांतर आने वाली किरणें फैल जाती है अर्थात यह ले समांतर किरणों को फैला देता है इस लेंस से गुजरने वाली प्रकाश की किरणें फैल जाती हैं जिसके कारण वे अपने पद से विचलित हो जाती हैं इसलिए कहा जाता है कि इस लेंस में प्रकाश का अपवर्तन होता है

 अवतल लेंस के प्रकार

अवतल लेंस भी तीन प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं

  1. उभयावतल लेंस
  2. समतलावतल लेंस
  3. उत्तलावतल लेंस

उभयावतल लेंस – यह लेंस दो पृष्ठों से मिलकर बनता है जिसके दोनों पृष्ठ अवतल होते हैं इसलिए इसको उभयावतल लेंस कहा जाता है.

समतलावतल लेंस– जैसा की इस लेंस के नाम के उच्चारण से ही स्पष्ट हो जाता है की इस लेंस में एक पृष्ठ समतल होगी और दूसरी पृष्ठ अवतल होगी.

उत्तलावतल लेंस – इस लेंस में एक पृष्ठ उत्तल और दूसरा पृष्ठ अवतल होता है इसलिए इसे उत्तलावतल लेंस का नाम दिया जाता है.

 

लेंस से संबंधित कुछ तथ्य और उनकी परिभाषा

1 वक्रता केंद्र

2 वक्रता त्रिज्या

3 मुख्य अक्ष

4 प्रकाशिक केंद्र

5 पतला लेंस

6 फोकस

7 फोकस दूरी

वक्रता केंद्र

लेंस जिस गोले से काटकर बनाया जाता है उस गोले के केन्द्र को वक्रता केंद्र कहते हैं.

वक्रता त्रिज्या

लेंस जिस गोले से काटकर बनाया गया है उस गोले की त्रिज्या को लेंस की वक्रता त्रिज्या कहते हैं.

मुख्य अक्ष

लेंस के दोनों वक्रता केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा को मुख्य अक्ष कहतें हैं.

प्रकाशिक केंद्र

मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिंदु जहाँ से जाने वाली किरणे अपवर्तन के बाद सीधे निकल जाती है या आपतित के समांतर हो जाती है प्रकाशिक केंद्र कहते हैं.

पतला लेंस

एसा लेंस जिसकी मोटाई उसकी वक्रता त्रिज्या की तुलना में बहुत कम हो पतला लेंस कहते हैं.

फोकस

प्रकाशिक केंद्र और वक्रता केंद्र के मध्य बिंदु को फोकस कहते हैं. यह दो प्रकार का होता है

  1. प्रथम फोकस
  2. द्वितीय फोकस

प्रथम फोकस

लेंस  के मुख्य मुख्य अक्ष पर स्थित वह वास्तविक या आभासी बिंदु, जहां से चलने वाली प्रकाश की किरणें अपवर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष  के समांतर हो जाती है प्रथम फोकस कहलाता है.

द्वितीय फोकस

मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली प्रकाश की किरणें अपवर्तन के पश्चात जिस बिंदु पर मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं द्वितीय फोकस कहलाता है.

फोकस दूरी

प्रकाशिक केंद्र तथा फोकस के बीच की दूरी फोकस दूरी कहलाती है यह भी दो प्रकार की होती हैं प्रथम फोकस दूरी तथा द्वितीय फोकस दूरी.

लेंस की क्षमता

लेंस की क्षमता  – लेंस द्वारा किरणों  को मोड़ने की क्षमता को लेंस की क्षमता कहते हैं.

  • इसे P से लिखते हैं.
  • जो लेंस किरणों को अधिक मोड़ेगा उसकी क्षमता अधिक होगी.

दैनिक जीवन में उत्तल लेंस और अवतल लेंस के उपयोग

विज्ञान जिस गति से आगे बढ़ रहा है उसी के कारण हर रोज नयें – नयें आविष्कार हो रहें हैं. लेंस के उपयोग के बिना हम जीवन की कल्पना नही कर सकते हैं. तो आइये सबसे पहले जानते हैं उत्तल लेंस के उपयोग के बारें में.

उत्तल लेंस का उपयोग

हम सभी उत्तल लेंस का किसी न किसी रूप में उपयोग जरुर कर रहे होंगे. इस लेंस के उपयोग निम्न हैं.

  • उत्तल लेंस का प्रयोग आँखों में दूरदृष्टि दोष के निवारण के लिए भी किया जाता है. दूरदृष्टि  दोष में पास की वस्तुएं हमारी आँखों से दिखायी नही देतें हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए उत्तल लेंस का उपयोग किया जाता है.
  • उत्तल लेंस का प्रयोग दूर स्थित वस्तुओ को देखने के लिए दूरबीन के निर्माण  में किया जाता है.
  • घड़ीसाज द्वारा घड़ी के अन्दर छोटे और महीन भाग को देखने में उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है.
  • ज्योतिषी के द्वारा हाथों की हस्तरेखा देखने में भी उत्तल लेंस का ही उपयोग किया जाता है.
  • प्रयोगशाला में  वैज्ञानिको के द्वारा उत्तल लेंस का उपयोग किया जाता है.
  • सूक्ष्मदर्शी निर्माण में भी उत्तल लेंस का उपयोग किया जाता है.

वाहनों के बगल के साइड सीसे  (Side Mirror) में उत्तल दर्पण का प्रयोग किया जाता है.

अवतल लेंस के उपयोग

इस लेंस का उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाता है.

  •  निकटदृष्टि दोष के उपचार के लिए आँखों में अवतल लेंस का उपयोग किया जाता है. निकटदृष्टि दोष की समस्या में दूर की वस्तुएं दिखायी नही देती हैं. इस दोष के निवारण के लिए आंख में अवतल लेंस लगाया जाता है.
  • गाडियों की हेडलाइट में अवतल लेंस का उपयोग किया जाता है.
  • मोतियाबिंद  नामक रोग के निवारण के लिए डॉक्टर के द्वारा आँखों में अवतल लेंस का उपयोग किया जाता है.
  • सड़कों के किनारे लगी स्ट्रीट लाइट  में अवतल लेंस का उपयोग किया जाता है.

उत्तल लेंस और अवतल लेंस में अंतर 

उत्तल लेंस अवतल लेंस
उत्तल लेंस बनावट के आधार पर बीच से मोटा और दोनों किनारों से पतला होता है। अवतल लेंस बनावट के आधार पर  बीच में से पतला तथा किनारों से मोटा होता है.
इसके माध्यम से अंग्रेजी अथवा हिंदी के अक्षर को देखने में अक्षर बड़े दिखाई देते हैं इस लेंस के द्वारा देखने पर कोई भी अक्षर अपनी वास्तविक लम्बाई से  छोटे दिखाई देता है.
उत्तल लेंस का प्रयोग आँखों में दूरदृष्टि दोष के निवारण के लिए किया जाता है. यह लेंस का प्रयोग आँखों में निकटदृष्टि दोष के निवारण के रूप में किया जाता है.
उत्तल लेंस से गुजरने वाली प्रकाश की किरणों को उत्तल लेंस एक बिंदु पर केंद्रित कर देता है. अवतल लेंस से गुजरने वाले प्रकाश को बिखेर देता है.
उत्तल लेंस में किसी भी वस्तु का प्रतिबिम्ब वास्तविक, आभासी और  उल्टा बनता है. अवतल लेंस में वस्तु का प्रतिबिम्ब वास्तविक, आभासी तथा सीधा बनता है.
यदि इस लेंस को बाई ओर हिलाया जाता है तो प्रतिबिंब दोनों तरफ गति करता है. अवतल लेंस को यदि बाई तरफ हिलाया जाता है तो प्रतिबिंब भी बाई तरफ गति कर करता है.
उत्तल लेंस की फोकस दूरी हमेशा धनात्मक होती है. अवतल लेंस की फोकस दूरी हमेशा ऋणात्मक होती हैं।

कई बार जानकारी के आभाव में हम लेंस और दर्पण को एक ही मान लेते हैं जबकि दोनों में बहुत अंतर पाया जाता है. तो आइये सबसे पहले दर्पण क्या होता है, समझते हैं ?

उत्तल लेंस और अवतल लेंस के कार्य करने का सिद्धांत 

कोई भी लेंस चाहे उत्तल हो अवतल हो प्रकाश के अपवर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता है.

प्रकाश का अपवर्तन

जब प्रकाश की तरंगे एक माध्यम से दुसरे माध्यम में प्रवेश करती हैं तो अपने पथ से विचलित हो जाती हैं. इसी घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं. प्रकाश की चाल एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करने से प्रकाश की चाल बदल जाती है. यही कारण प्रकाश की तरंगे अपने पथ से विचलित हो जाती हैं.

दर्पण

दर्पण किसी गोले का एक भाग होता जिसके एक ओर पेंट किया होता है. इस दर्पण में दूसरी ओर पारे या लेडऑक्साइड की कलई की होती है. कलई वाले पृष्ठ को परावर्तक पृष्ठ कहते हैं. दर्पण तीन प्रकार के होते हैं.

  1. समतल दर्पण
  2. उत्तल दर्पण
  3. अवतल दर्पण

दर्पण तथा लेंस में अंतर

                                     लेंस                                     दर्पण 
लेंस एक समांगी पारदर्शी माध्यम होता है. दर्पण का ओर कलई किया होता है.
लेंस दो पृष्ठों से मिलकर बना होता है, जिसमे कम से कम एक पृष्ठ वक्राकार होता है. दर्पण गोलाकार या समतल होता है.
लेंस प्रकाश की किरणों को या तो एक केंद्र पर एकत्रित कर देता है या फिर फैला देता है. प्रकाश की किरणों को दर्पण दूसरी दिशा में एकत्र कर देता है जिसके कारण किसी चित्र का निर्माण होता है.
लेंस बनावट के आधार पर दो प्रकार का होता है.

1 उत्तल लेंस.  2 अवतल लेंस

दर्पण तीन प्रकार का होता है जो निम्न हैं

  1. समतल दर्पण
  2. उत्तल दर्पण
  3. अवतल दर्पण

लेंस से जुड़े परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न 

प्रश्न 1 –  उत्तल लेंस की क्या पहचान है?

उत्तर किसी भी वस्तु की पहचान उसकी बनावट या उसके गुण के आधार पर की जाती है. उत्तल लेंस की पहचान बनावट के आधार पर किनारों पर पतला और मध्य भाग में किनारों की तुलना में मोटा होता है. यही इसकी प्रमुख पहचान है.

प्रश्न 2 –  उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस और अवतल लेंस को अपसारी लेंस क्यों कहते हैं?

उत्तर – उत्तल लेंस से गुजरने वाली प्रकाश की किरणें एक केंद्र पर केन्द्रित हो जाती है इसलिए इसे अभिसारी लेंस कहते हैं. अवतल लेंस से गुजरने वाली प्रकाश की किरण फ़ैल जाती है जिसके कारण इसे अपसारी लेंस कहते हैं.

प्रश्न –लेंस की क्षमता क्या है

उत्तर – लेंस के द्वारा प्रकाश की किरणों को मोड़ने की क्षमता को लेंस की क्षमता कहते हैं. लेंस जितना अधिक किरणों को मोड़ेगा उसकी क्षमता उतनी ही अधिक होगी.

प्रश्न 4 – एक व्यक्ति के चश्मे में उत्तल लेंस लगा है बताइए उस व्यक्ति की आंख में कौन सा दोष है?

उत्तर – आँखों में दूरदृष्टि दोष के निवारण के लिए चश्मे में उत्तल लेंस का उपयोग किया जाता है इसलिए यदि व्यक्ति के चश्मे में उत्तल लेंस लगा है तो कहा जा सकता है की उस व्यक्ति की आंख में दूरदृष्टि दोष है.

People also ask

प्रश्न – 5- अभिसारी का मतलब क्या होता है?

उत्तर – अभिसारी का अर्थ होता है की प्रकाश की करणों को एक केंद्र पर केन्द्रित होना

प्रश्न 6 –  लेंस कितने प्रकार के होते हैं?.

उत्तर – मुख्यतः लेंस दो प्रकार के होते हैं, उत्तल लेंस और अवतल लेंस तथा दोनों लेंसों के गुण आपस में भिन्न – भिन्न हैं.

प्रश्न 7- निकट दृष्टि दोष के लिए कौन सा लेंस प्रयोग करते हैं?

उत्तर – अवतल लेंस का प्रयोग आँखों में निकटदृष्टि दोष के निवारण के रूप में किया जाता है. इस दोष में निकट की वस्तुएं नही दिखायी देता है.

प्रश्न 8- दृष्टि दोष को कैसे ठीक किया जा सकता है?

उत्तर – दृष्टि दोष के लिए उत्तल लेंस और अवतल लेंस का प्रयोग किया जाता है. निकट में अवतल और दूरदृष्टि में उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है.

आप इस लेख से उत्तल लेंस और अवतल लेंस में अंतर, उत्तल लेंस  और अवतल लेंस के उपयोग को बहुत अच्छे तरह से समझ गये होंगे. इस लेख में लेंस की परिभाषा, लेंस के प्रकार और लेंस से जुड़े कई बिन्दुओं को बहुत ही आसान भाषा में समझाया गया है. यदि आप इस लेख को पढने के पश्चात किसी किताब को पढेंगे तो बहुत अच्छे से समझ में आयेगा.

इसे भी पढ़ें

टेंस के प्रकार 

संज्ञा की परिभाषा एवं संज्ञा के भेद

Polytechnic Syllabus

प्रेजेंट कंटीन्यूअस टेंस

2 thoughts on “उत्तल लेंस और अवतल लेंस की परिभाषा, उपयोग, अंतर और चित्र”

  1. सर हमे क्रांति कोण के बारे में जानना हैं । लेकिन इसमें दिया हुआ है ही नही । हमारी आशा है कि आप क्रांति कोण के बारे में जानकारी दें।
    धन्यवाद।

    Reply

Leave a Comment