प्रकाश का परावर्तन किसे कहते हैं, उत्तल दर्पण के उपयोग अवतल दर्पण के उपयोग [Reflection of light in Hindi, Prakash ka paravartan]
इस लेख में प्रकाश के परावर्तन से सम्बन्धित सभी तथ्यों को विस्तार से चर्चा किया गया है. आइये सबसे पहले जानते हैं प्रकाश का परावर्तन किसे कहते हैं Reflection of light in Hindi
Table of Contents
प्रकाश का परावर्तन किसे कहते हैं- Reflection of light in Hindi
प्रकाश का परावर्तन की परिभाषा
कोई वस्तु अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश को परावर्तित करती हैं जिसके बाद यह परावर्तित प्रकाश जब हमारी आंखों द्वारा ग्रहण किया जाता है तो हमको वस्तुओं दिखाई पड़ती है. प्रकाश(Light) जब किसी वस्तु अथवा सतह पर पड़ता है तो तीन प्रकार की घटनाये उत्पन्न हो सकती है
1 . प्रकाश वस्तु अथवा सतह से आर पार हो सकता है.
2 .प्रकाश अवशोषित हो सकता है अर्थात प्रकाश लौट कर नही आता है.
3. प्रकाश उस वस्तु से टकराकर लौट सकता है.
प्रकाश की किरणे जब किसी वस्तु पर पड़ती है तथा वह किरणे उस वस्तु अथवा सतह से टकराकर लौट आती है तो उसे ही प्रकाश परावर्तन (Reflection of Light ) कहते है
उदाहरण——-
(1) दर्पण के द्वारा प्रतिबिंब का बनना.
(2) तारों का टिमटिमाना.
(3) इंद्रधनुष का सुंदर रंग.
(4) किसी माध्यम द्वारा प्रकाश को मोड़ना.
उम्मीद है प्रकाश का परावर्तन किसे कहते हैं (Reflection of Light in Hindi) समझ आ गया होगा अब आइये प्रकाश से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं को देखते हैं.
प्रकाश किरण
प्रकाश सरल रेखा में गमन करता हुआ प्रतीत होता है, यह तथ्य की एक छोटा प्रकाश स्त्रोत किसी अपारदर्शी वस्तु की तीक्ष्ण छाया बनाता है। प्रकाश के एक सरल रेखीय पथ की और इंगित करता हैं। जिसे प्रायः प्रकाश किरण कहते हैं.
आपतन कोण और अपवर्तन कोण
किसी भी वस्तु पर प्रकाश की किरण जब पड़ती है तो पड़ने वाली किरण आपतित किरण कहलाती है और जो किरण सतह से टकराकर लौट कर वापस आती है वह
परावर्तित किरण कहलाती है. आपतित किरण तथा आपतित बिंदु के अभिलंब के बीच बनने वाले कोण को आपतन कोण कहते है. परावर्तित किरण तथा अभिलंब के बीच बनने वाले कोण को परावर्तन कोण कहते है.
उदाहरण– किसी भी सतह को जब अच्छी तरह से पॉलिश किया जाते हैं, और वह चिकनी हो जाती है. वह चिकनी सतह के ऊपर पड़ने वाले लगभग समस्त प्रकाश को प्रावर्तित कर देती है।. यदि कोई सतह किसी भी प्रकाश को प्रवर्तित नहीं है तो वह काली स्याही के समान धुतिहिं काली दिखलाई देती है.
प्रकाश के गुण
(1)प्रकाश सरल सीधी रेखाओं में गमन करता है.
(2) प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंगे है, इसलिए इसे संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं पड़ती.
(3) प्रकाश अपारदर्शी वस्तुओं की तीक्ष्ण छाया बनाता है
(4) प्रकाश की चाल 3 x 10 8 M/S [ 3 into 10 to the power 8]
प्रकाश का परावर्तन किसे कहते हैं- Reflection of light in Hindi
प्रकाश का परावर्तन के नियम – Reflection of light in Hindi
उच्च कोटि की पॉलिश किया हुआ प्रष्ठ जैसे कि दर्पण अपने उपर पड़ने वाली अधिकांश प्रकाश को प्रवर्तित कर देता हैं,जो कि प्रकाश के प्रवर्तन नियम के समान ही है.
प्रकाश के परावर्तन के नियम
(1) आपतन कोण परावर्तन कोण के बराबर होता है.
(2) आपतित किरण दर्पण के आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण सभी एक ही तल होते हैं.
प्रतिबिंब
परावर्तन के बाद प्रकाश की किरने जहाँ पर मिलती है या मिलती हुई प्रतीत होती है, उस बिंदु को प्रतिबिम्ब कहते हैं.
प्रतिबिम्ब के प्रकार
वास्तविक प्रतिबिंब
(1) यह है तब बनता है जब प्रकाश की किरणे वास्तव में प्रतिच्छेदीत होती हैं.
(2) इसे पर्दे पर प्राप्त कर सकते हैं.
(3)वास्तविक प्रतिबिंब उल्टा बनता है.
आभासी प्रतिबिंब
(1)यह तब बनता है जब प्रकाश किरणे प्रतिपादित होती प्रतीत होती हैं.
(2)इसे पर्दे पर प्राप्त नहीं कर सकते है.
(3)आभासी प्रतिबिंब सीधा बनता हैं.
समतल दर्पण द्वारा प्राप्त पर प्रतिबिंब
(1)समतल दर्पण पर आभासी एवं सीधा होता है
(2) प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है.
(3) प्रतिबिंब दर्पण के उतने पीछे बनता है, जितनी वस्तु की दर्पण से दूरी होती हैं.
(4) प्रतिबिंब पाश्रव परिवर्तन होता है.- पाश्रव परिवर्तन में वस्तु का दाया भाग बाया प्रतीत होता है और बाया भाग दाया.
गोलीय दर्पण
(1)गोलीय दर्पण का परावर्तक तल अंदर की और बाहर की और वक्रीय होता हैं. गोलिय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ अंदर की ओर अर्थात गोले के केंद्र की ओर सक्रिय है वह अवतल दर्पण कहलाता है.
(2) गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक प्रष्ठ बाहर की और वक्रीय हैं, उत्तल दर्पण कहलाता है।
गोलिय दर्पण में सामान्यतः प्रयुक्त होने वाले कुछ शब्द
ध्रुव
गोलीय दर्पण के परावर्तन प्रस्तुति केंद्र दर्पण को ध्रुव कहते है। यह दर्पण के पृष्ठ पर स्थित होता हैं।
मुख्य अक्ष
गोलिय दर्पण के ध्रुव तथा वक्रता त्रिज्या से गुजरने वाली एक सीधी रेखा को मुख्य अक्ष कहते है.
वक्रता केंद्र
गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ एक गोले का भाग है , इस गोले का केंद्र गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहलाती है.
द्वारक(Aperture)
गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ तल की वृत्ताकार सीमा रेखा का व्यास दर्पण का द्वारक (Aperture) कहलाता है.
फोकस दूरी
गोलिय दर्पण के धुव तथा मुख्य फोकस के मध्य कि दूरी फोकस दूरी कहलाती है.
छोटे द्वारक के गोलिय दर्पण के लिए वक्रता त्रिज्या फोकस दूरी से दुगुनी होती है.
अवतल दर्पण के किरण आरेख बनाने के कुछ नियम
(1) दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर प्रकाश किरण परावर्तन के पश्चात दर्पण के मुख्य फोकस से गुजरती हैं.
(2) अवतल दर्पण के मुख्य प्रकार से गुजरने वाली परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के समांतर निकलेगी.
(3) अवतल दर्पण के वक्रता केंद्र से गुजरने वाली किरण परावर्तन के पश्चात उसी दिशा में वापस परिवर्तित हो जाती है.
(4) अवतल दर्पण के बिंदु मुख्य अक्ष से त्रियक दिशा मे आपतित किरण त्रियक दिशा में परावर्तिति होती हैं, आपतित तथा प्रवर्तित किरणे आपतन बिंदु पर मुख्य अक्ष से समान कोण बनाती है.
अवतल दर्पण के उपयोग
अवतल दर्पण अपनी ओर आने वाली प्रकाश की किरणों को अपने मुख्य फोकस पर केंद्रित कर देता है. तथा इसमें वस्तु का प्रतिबिंब दर्पण के आगे वस्तु की स्थिति के अनुसार वस्तु से छोटा बढ़ा या बराबर भी होता है. इसी प्रकार उत्तल दर्पण अपनी ओर आने वाली प्रकाश की किरणों को अपने मुख्य फोकस से फैला देता . तथा इसमें वस्तु का प्रतिबिंब वस्तु से हमेशा छोटा बनता है. इसलिए इन दर्पण का उपयोग इनके गुणों के आधार पर अलग-अलग कार्यों के लिए किया जाता है. जों निम्नवत है.
(1)सामान्यता टॉर्च, सर्च लाइट, तथा वाहनों की हैडलाइट में प्रकाश का शक्तिशाली समांतर किरण पुंज प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
(2) दंत विशेषज्ञ अवतल दर्पण का उपयोग मरीजों के दांतों का बड़ा प्रतिबंध देखने के लिए करते हैं.
(3) इन्हें प्रायः चेहरे का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए,शेविंग दर्पण के रूप में उपयोग किया जाता है.
(4) सौर भट्टियो में सूर्य के प्रकाश को केंद्रित करने के लिए बड़े अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता हैं.
उत्तल दर्पण के उपयोग
उत्तल दर्पण का उपयोग समन्यतः वाहनों के पीछे के दृश्य को देखने लिए इस दर्पण का उपयोग किया जाता है. यह दर्पण वाहन के पाश्रव (Side) में लगे होते हैं तथा इसमें ड्राइवर अपने पीछे के वाहनों को देख सकता है. जिससे वे सुरक्षित रूप से वाहन चला सके. उत्तल दर्पण को इसलिए भी प्राथमिकता देते हैं क्योंकि वे सदैव सीधा प्रतिबिंब बनाते हैं. यद्धपि वह छोटा होता है इसका दृष्टि क्षेत्र भी बहुत अधिक है, क्योंकि यह बाहर की ओर वक्रीत होते हैं. अतःसमतल दर्पण की तुलना में उत्तल दर्पण ड्राइवर को अपने पीछे के बहुत बड़े क्षेत्र को देखने में समर्थ बनाते हैं.
(1) उत्तल दर्पण का उपयोग समानता वाहनों के लिए किया जाता है।
(2) दुकानों में इनका इस्तेमाल सिक्योरिटी दर्पण के रूप में किया जाता है।
दर्पण सूत्र
1/f =1/v+1/u+1
जहाँ —
V= प्रतिबिंब की दूरी
U=बिम्ब की दूरी
F=फोकस की दूरी
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रकाश का सबसे अच्छा परावर्तक क्या है?
चादी प्रकाश का सबसे अच्छा परावर्तक माना जाता है.
प्रकाश का परावर्तन क्यों महत्वपूर्ण है?
किसी भी वस्तु को देखने के लिए प्रकाश का परावर्तन होना आवशयक है.
प्रकाश का परिवर्तन कितने प्रकार का होता है?
यह दो प्रकार का होता है , नियमित प्रकाश का परावर्तन और अनियमित प्रकाश का परावर्तन
उम्मीद है इस पोस्ट में दी गयी जानकारी जैसे प्रकाश का परावर्तन किसे कहते हैं, उत्तल दर्पण के उपयोग अवतल दर्पण के उपयोग [ Reflection of light in Hindi, Prakash ka paravartan ] समझ आ गया होगा.
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